कविता : शिकायत
बेमेल विवाह
जैसी बदरंग
जिन्दगी से शिकायत
तभी तक होती हैं
जब तक
समझौता नही कर पाते!
करते ही
शिकायते अपने आप
दूर हो जाती हैं
वही
अच्छी जो लगने लगती हैं!
— कंचन आरज़ू
बेमेल विवाह
जैसी बदरंग
जिन्दगी से शिकायत
तभी तक होती हैं
जब तक
समझौता नही कर पाते!
करते ही
शिकायते अपने आप
दूर हो जाती हैं
वही
अच्छी जो लगने लगती हैं!
— कंचन आरज़ू