कान्हा क्यों बिसराया
आज के विषय पर मेरा प्रयास।
विषय – राधेश्यामी छंद।
नित एक तरफ राधा रोती , अरु मीरा तुम्हें बुलाती है।
क्यों कान्हा छोड गये हमको, गोकुल की याद न आती है।
अब ग्वाल बाल सब पूछ रहे, कान्हा ने क्यों विसराया है।
हर गोपी ढूढ रही कान्हा क्यों माँखन नही गिराया है।- 1
केवल दो दिन का वादा था, अब साल अनेकों बीत गये।
मुरली की धुन के बिन कान्हा मानो सावन के गीत गये।
क्या याद नहीं आयी इक पल, या फिर कोई मजबूरी है।
कान्हा तुम आज बता दो ये, क्यों दिल से दिल की दूरी है।-2
तुम तो प्रभु इक अवतारी थे, क्यों ऐसा खेल रचाया था।
जिसका इस दिल में वास रहा, क्यों फिर उसको तड़पाया था.
क्या राग सुनू अब मुरली का, क्यों प्रीत पे मैं विश्वास करूँ।
दो दिल जग में मिल पायेगें, किससे जग में अब आस करूँ।-3
क्रमसः……….
शिव चाहर मयंक
आगरा