गीत/नवगीत

कान्हा क्यों बिसराया

आज के विषय पर मेरा प्रयास।
विषय – राधेश्यामी छंद।

नित एक तरफ राधा रोती , अरु मीरा तुम्हें बुलाती है।
क्यों कान्हा छोड गये हमको, गोकुल की याद न आती है।
अब ग्वाल बाल सब पूछ रहे, कान्हा ने क्यों विसराया है।
हर गोपी ढूढ रही कान्हा क्यों माँखन नही गिराया है।- 1

केवल दो दिन का वादा था, अब साल अनेकों बीत गये।
मुरली की धुन के बिन कान्हा मानो सावन के गीत गये।
क्या याद नहीं आयी इक पल, या फिर कोई मजबूरी है।
कान्हा तुम आज बता दो ये, क्यों दिल से दिल की दूरी है।-2

तुम तो प्रभु इक अवतारी थे, क्यों ऐसा खेल रचाया था।
जिसका इस दिल में वास रहा, क्यों फिर उसको तड़पाया था.
क्या राग सुनू अब मुरली का, क्यों प्रीत पे मैं विश्वास करूँ।
दो दिल जग में मिल पायेगें, किससे जग में अब आस करूँ।-3

क्रमसः……….

शिव चाहर मयंक
आगरा

शिव चाहर 'मयंक'

नाम- शिव चाहर "मयंक" पिता- श्री जगवीर सिंह चाहर पता- गाँव + पोष्ट - अकोला जिला - आगरा उ.प्र. पिन नं- 283102 जन्मतिथी - 18/07/1989 Mob.no. 07871007393 सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन , अधिकतर छंदबद्ध रचनाऐ,देश व विदेश के प्रतिष्ठित समाचार पत्रों , व पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित,देश के अनेको मंचो पर नियमित कार्यक्रम। प्रकाशाधीन पुस्तकें - लेकिन साथ निभाना तुम (खण्ड काव्य) , नारी (खण्ड काव्य), हलधर (खण्ड काव्य) , दोहा संग्रह । सम्मान - आनंद ही आनंद फाउडेंशन द्वारा " राष्ट्रीय भाष्य गौरव सम्मान" वर्ष 2015 E mail id- [email protected]