कितनी अनोखी है
प्रीत जमीं की
जो फैलाये आँचल
करती है सजदा
माँगती है दुआ
अपने नबी की…
कितना अलग अंदाज़ है
आसमां का
तड़पता खुद है
पर बरसा के बूँद बूँद
भर देता है झोली
प्यासी ज़मीन की….
कि एक दूजे के बिना अधूरे होते हैं कुछ नाम…!!
नाम:- शिप्रा खरे शुक्ला
पिता :- स्वर्गीय कपिल देव खरे
माता :- श्रीमती लक्ष्मी खरे
शिक्षा :- एम.एस.सी,एम.ए, बी.एड, एम.बी.ए
लेखन विधाएं:- कहानी /कविता/ गजल/ आलेख/ बाल साहित्य
साहित्यिक उपलब्धियाँ :- साहित्यिक समीर दस्तक सहित अन्य पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित, 10 साझा काव्य संग्रह(hindi aur english dono mein )
#छोटा सा भावुक मेरा मन कुछ ना कुछ उकेरा ही करता है पन्नों पर
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shipradkhare.blogspot.com
ई-मेल - [email protected]
4 thoughts on “हमनवां”
प्रिय सखी शिप्रा जी, अति सुंदर कविता के लिए आभार.
आपका ध्यान मेरी कविताओं पर जाता है….हृदयतल से आभार और धन्यवाद
प्रिय सखी शिप्रा जी, आपके हृदयतल की सुंदरता आपकी कविता के शब्दों में झलकती है, इसलिए स्वभावतः ध्यान चला जाता है.
प्रिय सखी शिप्रा जी, आपके हृदयतल की सुंदरता आपकी कविता के शब्दों में झलकती है, इसलिए स्वभावतः ध्यान चला जाता है.
प्रिय सखी शिप्रा जी, अति सुंदर कविता के लिए आभार.
आपका ध्यान मेरी कविताओं पर जाता है….हृदयतल से आभार और धन्यवाद
प्रिय सखी शिप्रा जी, आपके हृदयतल की सुंदरता आपकी कविता के शब्दों में झलकती है, इसलिए स्वभावतः ध्यान चला जाता है.
प्रिय सखी शिप्रा जी, आपके हृदयतल की सुंदरता आपकी कविता के शब्दों में झलकती है, इसलिए स्वभावतः ध्यान चला जाता है.