कविता : एक ऑटो
एक आॅटो
टूटा फूटा सा जो जोर से आवाज करता है
ना कोई तेजी न कोई ताकत है
रोज हजार सवारी आती हैं
जो अपनी अपनी दिशा बताती हैं
वो टूटा फूटा आॅटो बस कही हुई दिशाओं पर
चलता जाता है चुपचाप
हमारी जिन्दगी भी एक आॅटो की तरह है
सब आते हैं कहते हैं कि तुम्हारी दिशा यह है
तुम्हारा रास्ता यह है तुम्हारा लक्ष्य यह है
सब कहकर एक सवारी की तरह चले जाते हैं
मगर मैं क्या चाहता हूं वो कोई नहीं सोचता
मेरी उम्मीदें नजरों से हट जाती हैं
बस चलते जाना है हुकुम की राह पर
मगर कभी तो बनाऊंगा खुद की राह
जो ना टूटेगी कभी जो ना झुकेगी कभी
अभी तो ये जिन्दगी है
मगर कभी उस राह को भी
टूटे फूटे आॅटो से नया नाम मिलेगा
वो नाम जो सबके पास होकर भी नहीं होता
उसका नाम जिन्दगी है!
— अक्षित शर्मा