काश! मैं एक बच्चा होता
काश! मैं एक बच्चा होता
अकल का जरा कच्चा होता
मन का बहुत सच्चा होता
न जाने कितना अच्छा होता
माँ मुझे गोदी में खिलाती
अपने कोमल आँचल में सुलाती
भूख मुझे जो लग जाती
अपने सतनों का दूध पिलाती
पिताजी कंधे पे घुमाते
हाथ पकड़ चलना सिखाते
बन्दर वाले का नाच दिखाते
प्यार से मुझे फिर गले लिगाते
जानता न अच्छे बुरे का भेद
होता न किसी गलती का खेद
भावनाओं में न मेरे होता छेद
करता न कोई भी मुझसे विभेद
सबका मैं बहुत प्यारा होता
हाथ में मेरे भी गुब्बारा होता
हंसी ख़ुशी में गुजारा होता
अनजान भी मेरा सहारा होता
सुंदर रचना के लिए बधाई हो
धन्यवाद रमेश सर
बहुत सुन्दर गीत आदरणीय अर्जुन नेगी जी . बधाई आप को .
धन्यवाद प्रकाश जी
स्वागत है आप का.
प्रिय अर्जुन भाई जी, अति सुंदर गीत के लिए आभार.
धन्यवाद बहन
प्रिय अर्जुन भाई जी, अति सुंदर गीत के लिए आभार.