ग़ज़ल
तुम ही मेरी इबादत तुम ही मेरी दुनिया।
तुम्हारे इर्द गिर्द ही सिमटी मेरी खुशियाँ।।
दम तोड़ती दिल में अनगिनत मेरी ख्वाहिशें।
उस पर है क़यामत तुझसे मेरी दूरियां।।
धड़कने भी भूल जाएं दिल का रास्ता।
थोड़ा भी हो फासला जब अपने दरमियां।।
शायद नसीब में ही नही तुझसे मुलाकात।
कुछ न कुछ तो बनता मिलने का जरिया।।
कोशिश करो कितना भी बचने की लेकिन।
गहरा है बहुत मेरी चाहत का दरिया।।
-सुमन शर्मा
वाह बहुत सुंदर!!