ग़ज़ल
दोस्ती तुम निभा नही सकते ।
आग दिल की बुझा नहीं सकते ।।
बेवफा लोग हैं मेरी किस्मत ।
दर्दे मंजर दिखा नही सकते ।।
मेरी इज्जत उछाल कर तुम भी ।
जश्न कोई मना नहीं सकते ।।
जख़्म देकर न पूछ दर्द मेरा ।
आसुओं को मिटा नहीं सकते ।।
दिल जलाने की साजिशें तेरी ।
बात हमसे छुपा नहीं सकते ।।
दावतें कब कबूल थीं तुझको ।
यह हकीकत बता नहीं सकते ।।
बना रहे ये दोस्ती का भरम ।
तेरा पर्दा उठा नही सकते ।।
नफरतों के लिए तेरी फितरत ।
तेरी किस्मत बना नही सकते ।।
जहर दिया है गर मुहब्बत ने ।
जिंदगी हम बचा नहीं सकते ।।
रूठ के जा मगर ये याद रहे ।
मुड़ के हम भी बुला नहीं सकते ।।
नवीन