गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल

‌दोस्ती तुम निभा नही सकते ।
आग दिल की बुझा नहीं सकते ।।

बेवफा लोग हैं मेरी किस्मत ।
दर्दे मंजर दिखा नही सकते ।।

‌ मेरी इज्जत उछाल कर तुम भी ।
जश्न कोई मना नहीं सकते ।।

‌जख़्म देकर न पूछ दर्द मेरा ।
आसुओं को मिटा नहीं सकते ।।

दिल जलाने की साजिशें तेरी ।
बात हमसे छुपा नहीं सकते ।।

‌दावतें कब कबूल थीं तुझको ।
यह हकीकत बता नहीं सकते ।।

‌बना रहे ये दोस्ती का भरम ।
तेरा पर्दा उठा नही सकते ।।

‌नफरतों के लिए तेरी फितरत ।
तेरी किस्मत बना नही सकते ।।

‌जहर दिया है गर मुहब्बत ने ।
जिंदगी हम बचा नहीं सकते ।।

रूठ के जा मगर ये याद रहे ।
मुड़ के हम भी बुला नहीं सकते ।।

‌ नवीन

*नवीन मणि त्रिपाठी

नवीन मणि त्रिपाठी जी वन / 28 अर्मापुर इस्टेट कानपुर पिन 208009 दूरभाष 9839626686 8858111788 फेस बुक [email protected]