मैं चाहता हूँ
मैं चाहता हूँ
इंसान ,इंसान बने
छोड़ दे लड़ना – झगड़ना
ईश्वर का वरदान बने l
कोई भूखा भी ना सोए
रोटी के बिन
जीवन ना अपना खोए l
प्रेम से भरा संसार हो
रंग नस्ल, जाति, धर्म नहीं
एक इश्वर आधार हो l
ज्ञान विज्ञान फले – फूले
आविष्कारों और खोजों का
हर मानव को लाभ मिले l
लोकतंत्र विकसित हो
प्रत्येक वर्ग का
विकास सुनिश्चित हो l
मानव रक्त न नालियों में बहे
बहे रक्त मानव का
किन्तु अपनी नाड़ियों में बहे l
हर हृदय विशाल बने
हाथ उठें सेवा के लिए
सबके लिए मिसाल बने l
बच्चों के हाथों में
कागज कलम हो
बंदूकें न थमाएं उनको
‘जेहाद’ नही
‘मानवता’ धर्म हो l
कोई आँख अब न रोए
दुनिया के हर कोने में
मानव, प्रेम के बीज बोए l
सारा संसार एक परिवार बने
पूर्व – पश्चिम में रहने वाले
सबके एक विचार बनें l
‘वसुधैव कुटुम्बकम’ सार्थक हो
पासपोर्ट वीजा का चक्कर न हो
‘मानव हूँ’, ये मानक हो l
हर देश में खुशहाली हो
धन – धान्य की कमी न हो
चारों और हरयाली हो l
प्राकृतिक संसाधनों का
सदुपयोग हो
पीढ़ी दर पीढ़ी लाभ मिले
मानव देह निरोग हो l
नारी को पूरा सम्मान मिले
देवी के समान पूजी जाए
नर को अपने प्राण मिले l
युग सुन्दर सदियाँ सुन्दर
गर मानव जीवन
हो जाए सुन्दर
ये युग , ये सदी
सुन्दर हो जाए
विश्व – बंधुत्व एकत्व का
गीत हर मानव गाए l
प्रिय अर्जुन भाई जी, अति सुंदर चाह के लिए आभार.
बहुत बहुत धन्यवाद