कविता

“कुंडलिया छंद”

FB_IMG_1464882628286

गंगा माँ की धार है, जीवन का आधार
दोनों बूढ़े हो गए, मैं मेरी पतवार
मैं मेरी पतवार, सुबह से शाम न थकते
पाई पाई जोड़, भूख के चुल्हे जलते
कह गौतम चितलाय, पुकारे केवट चंगा
सिया राम लखि जाय, उतारा दीजो गंगा।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ