गंगा माँ की धार है, जीवन का आधार
दोनों बूढ़े हो गए, मैं मेरी पतवार
मैं मेरी पतवार, सुबह से शाम न थकते
पाई पाई जोड़, भूख के चुल्हे जलते
कह गौतम चितलाय, पुकारे केवट चंगा
सिया राम लखि जाय, उतारा दीजो गंगा।।
शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज
जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन
जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र.
हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ