कविता

हजारो लोग मिलते है

दूनियॉ मे हजारो लोग मिलते है
बस तुम्हे गिराने को सोचते है
जैसे तुम उठने की कोशिष करो
झट अपनी पैर फसा गिरा देते है
सम्भलना है तो खुद से सम्भलो
कोई साथी साथ नही देने आयेगा
ये तुम्हारे लिये एक  चुनौती है
देखो जीवन में ऐसे ही जीना होता है
आयेंगे तेरे राहों में हजारो विघ्न बाधाये
तुम्हे  डटकर निरंतर आगे बढना होगा
तभी दिखा पाओगें दूनियॉ को तुम भी
देखो लडना आ गया अब मुझे भी|
  निवेदिता चतुर्वेदी

निवेदिता चतुर्वेदी

बी.एसी. शौक ---- लेखन पता --चेनारी ,सासाराम ,रोहतास ,बिहार , ८२११०४