चित्र अभिव्यक्ति ( पद्य या गद्य विधा )
पुत्तर खुश पंजाब दा, शत श्री श्रीयाकाल
आइ लोहड़ी झूमती, भांगड़ा खुश खुशाल
भांगड़ा खुश खुशाल, पाँव थिरकत दे ताली
फसल हुई तैयार, न कोई घर है खाली
कह गौतम कविराय, न कोई प्रश्न न उत्तर
हुआ किसान निहाल, नचाओ गावो पुत्तर॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी