कोलाहल
शहर के कोलाहल से दूर
घनी आबादी से हट के
नीरवता के बीच
रास्ता जो जाता है
मेरे गांव की ओर
गुजरता हूँ जब वहाँ से
सनसनाहट की आवाज आती
चीर कर मुझमें प्रवेश कर जाती है
सोचने को मजबूर मैं
कोलाहल कैसा है
एक दबी सी
आहट छिपी है कोलाहल में
शहर के कोलाहल से दूर
घनी आबादी से हट के
नीरवता के बीच
रास्ता जो जाता है
मेरे गांव की ओर
गुजरता हूँ जब वहाँ से
सनसनाहट की आवाज आती
चीर कर मुझमें प्रवेश कर जाती है
सोचने को मजबूर मैं
कोलाहल कैसा है
एक दबी सी
आहट छिपी है कोलाहल में
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प्रिय सखी मधु जी, अति सुंदर.
एक सुन्दर सिरजन .
एक सुन्दर सिरजन .