“पिरामिड”
1॰
ये
पेड़
खड़े है
कटेंगे क्या
नजर लगी
कुछ तो बात है
छाया देंगे घर को॥
2॰
लो
सूख
रहा है
ड़र गया
कट जाएगा
बेकार हो गया
मरती हरियाली॥ 2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
1॰
ये
पेड़
खड़े है
कटेंगे क्या
नजर लगी
कुछ तो बात है
छाया देंगे घर को॥
2॰
लो
सूख
रहा है
ड़र गया
कट जाएगा
बेकार हो गया
मरती हरियाली॥ 2
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
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सुन्दर रचना सर
सादर धन्यवाद आदरणीय नेगी सर, स्वागत है पटल पर
बढियाँ लेखन
पंक्तियाँ स्वतंत्र भाव हो सात कहलाने के लिए और किसी दो पंक्ति में तुकांत हो तो बहुत बढियाँ होती है रचनायें पिरामिड की
सादर धन्यवाद आदरणीया विभा रानी श्रीवास्तव जी, आगे से ख्याल रहेगा, अच्छी सीख के लिए आभार महोदया