कविता

मेरे पापा

याद तो रोज़ आते हैं
उन्हें हम कब भुला पाते हैंFathers-Day-Quotes1
जब कोई लेता है नाम मेरा
नज़र आते हैं पापा…
मम्मी की फीकी हँसी
सूने माथे और
सादी साड़ी में लिपटे
नज़र आते हैं पापा…
पूरे घर में दादी
भइया भइया करती
फिरतीं थीं मेरे आगे पीछे
नज़र आते थे पापा…
सुबह सवेरे जब
देखूँ शीशे में चेहरा
जुड़ी भौवों और गहरी आँखों में
नज़र आते हैं पापा…
मम्मी की हर डाँट
उनकी हर पुचकार पर
देहरी के उस पार
नज़र आते हैं पापा …
हर शाबाशी हर थपकी में
देते आशीर्वाद
होते गदगद
नज़र आते हैं पापा…
अपने आँगन
घर की छत
और हर एक दीवार में
नज़र आते हैं पापा…
मेरी खुशी के इंतज़ार में
गम को दूर भगाते
नम आँखों के साथ
नज़र आते हैं पापा…
*
कि कुछ एहसास वक्त बनकर लगातार साथ चलते हैं….!!

शिप्रा खरे

शिप्रा खरे

नाम:- शिप्रा खरे शुक्ला पिता :- स्वर्गीय कपिल देव खरे माता :- श्रीमती लक्ष्मी खरे शिक्षा :- एम.एस.सी,एम.ए, बी.एड, एम.बी.ए लेखन विधाएं:- कहानी /कविता/ गजल/ आलेख/ बाल साहित्य साहित्यिक उपलब्धियाँ :- साहित्यिक समीर दस्तक सहित अन्य पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित, 10 साझा काव्य संग्रह(hindi aur english dono mein ) #छोटा सा भावुक मेरा मन कुछ ना कुछ उकेरा ही करता है पन्नों पर आप मुझे मेरे ब्लाग पर भी पढ़ सकते हैं shipradkhare.blogspot.com ई-मेल - [email protected]

2 thoughts on “मेरे पापा

  • लीला तिवानी

    प्रिय सखी शिप्रा जी, कुछ एहसास वक्त बनकर लगातार साथ चलते हैं. अति सुंदर व सार्थक रचना के लिए आभार.

    • शिप्रा खरे

      आपके स्नेह के लिये हृदयतल से आभार दी

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