उपन्यास अंश

अधूरी कहानी:अध्याय-10: अधजली लाश

डिटेक्टीव करन ने काॅफी पीने के बाद फिर से अपनी बात जारी रखते हुये कहा कि रेनुका कार से गिरते ही उठकर कार से पीछे की तरफ भागने लगी तब नानू ने कार पीछे घुमायी और रेनुका की तरफ दौड़ा दी अपने पास कार को आता देख नीचे झाड़ियों की तरफ भागने लगी अब आगे कार नहीं जा सकती थी इसलिए वे कार से उतरे और रेनुका के पीछा करने लगे रेनुका एक पेड़ के पीछे छिप गयी और मोबाइल निकालकर एक नम्बर डायल उधर से आवाज आयी हैलो दिल्ली पुलिस स्टेशन तब रेनुका बोली हैलो सर ममेरे पीछे कु गुंडे पड़े है और अपनी लोकेशन बतायी तब उधर से आवाज आयी मैडम आप चिंता न करे हम कुछ ही देर में आपके पास पहुँच रहे है रेनुका ने जैसे ही फोन काटा तो देखा वा लोग रेनुका के सामने कुछ दूर पर थे रेनुका वहां से फिर भागी और वो लोग रेनुका का पीछा करते रहे।
कुछ ही दूरी पर बहुत से बड़े-बड़े पाईप पड़े थे रेनुका दौड़कर उन पाईप में जा छिपी उन लोगों ने रेनुका को जाते देखा और वे अब रेनुका को पाईपो के बिच ढूंढने लगे उस समय लगभग सात बज चुके थे तथा थोड़ा अंधेरा हो गया था रेनुका कुछ देर पाईपो के बीच छिपी रही फिर मौका देखकर उन लोगों को चकमा देकर वहां से भाग गयी और कुछ दूरी पर एक खाली घर दिखने पर वह उस घर में एक कमरे में चली गई और अंदर से कुंडा लगा लिया और फिर वह पुलिस का इंतज़ार करने लगी।
लगभग आधे घंटे बाद दरवाजा खटका और बाहर सा आवाज आयी मिस. दरवाजा खोलो हम पुलिस से है ये सुनकर रेनुका की जान में जान आयी रेनुका ने दरवाजा खोला तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गयी क्योंकि वह पुलिस न होकर ब्लकि वही चारों थे रेनुका ने तुरंत दरवाजा बंद करना चाहा पर नाकाम रही फिर उन लोगों ने रेनुका को पकड़ लिया रेनुका मिन्नते करती रही पर उन लोगों ने उसकी एक न सुनी और रेनुका के सारे कपड़े उतार दिये और फिर उन चारों ने रेनुका के साथ बलात्कार किया रेनुका छूटने की कोशिश करती रही पर नाकाम रही।
कुछ देर बाद रेनुका शांत पड़ गयी उन लोगों ने देखा तो रेनुका की सांस बंद हो चुकी थी तब वा बहुत खबरा गये नानू ने बिरजू कालिया से कहा कि ये तूने क्या किया तब वह बोला ये बहुत चिल्ला रही थी तब मैने इसका मूंह बंद कर दिया पर पता ही नहीं चला कि कब इसकी नाक भी बंद हो गयी उर फिर सांस भी।
बिरजू बोला अब क्या होगा हम सब जेल जायेगे और फिर फांसी तब नानू बोला शांत हो जाओ कोई जेल नहीं जायेगा मुझे सोचने दो।
फिर उन लोगों ने रेनुका को कपड़े पहनाकर उसे उठाया और रोड पर ले आये फिर रेनुका को उसी की कार की ड्राविंग सीट पर बिठाकर सीट बैल्ट लगा दी और कार में पेट्रोल डालकर आग लगा दी और कार को खायीं में धकेल दिया फिर वहां से चले गये।थोड़ी देर में वहां बारिश होने लगी जिससे आग बुझ गयी और लाश अधजली रह गयी और कहते हैं कि अधजली लाश होने पर उसकी आत्मा भी भटकती रहती है तथा इंनवेस्टीगेशन पर इसे एक एक्सीडेन्ट बताया गया।यह सुनकर समीर की आंखों में आंशू आ गये जैसे कोई घाव फिर से हरा हो गया हो।

दयाल कुशवाह

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