कविता : बारिश
कल –
ए-बारिश तुझे बरसना है तो, दिल खोल के बरस,
यूँ बूँद-बूँद कर तड़पाया मत कर,
भीगना चाहता हूँ तेरी, माह-रुहता से,
लबों तक आके अब प्यासा मत रख !
आज
बडे अरसों बाद आज तेरी बूँदों से भीगा हूँ
खुले पैर जब बारीश, तेरे संग खेला हूँ
होठों से छुआ जब तेरे अमी-रस को!
ओ-मेघ,
मल्हार मुग्ध हो गया, तेरा ही “मयूर” जो…।
©मयूर जसवानी