ग़ज़ल
काँधे पर जिसके हल देखा ।
उसको भूखा हर पल देखा ।
सारे वैभव फीके थे जब
माँ का मैला आँचल देखा ।
जर्रे की कीमत को आँका
टाट जड़ा जब मलमल देखा ।
भूखे प्यासे मानव देखे
पूजा जाता पीपल देखा ।
जीवन जीने की चाहत में
खुद को मरते पल पल देखा ।
याद पिया की मुझको आई
बाग़ों में जब कोयल देखा ।
— धर्म पाण्डेय