लघुकथा : बेइज़्ज़त
प्रशान्त के छोटे भाई की शादी में आये मंत्री जी को सभी घेर कर बैठे हुये थे, कोई सेल्फी ले रहा, कोई फोटोज,, कोई बातें कर रहा…… आखिर घर की शान जो बढ़ गई थी मंत्री के आने पर।
प्रशान्त पार्टी का ही सदस्य था और उसकी पत्नी राजनीति को पंसद नहीं करती थी।
“क्या में भी आपसे कुछ बातें कर सकती हूं ”
“हाँ हाँ क्यों नहीं ”
सभी की नजरें दामिनी पर थी, प्रशान्त ने इशारों में कुछ कहना चाहा पर दामिनी ने नजरअंदाज कर दिया
“अच्छा ये बताइए आप फिल्म देखना पसंद करते हैं ”
“समय कहाँ मिलता है,,, समाज सेवा से,, फिर भी कभी कभी देख लेते हैं ”
“तो फिर आपका पसंदीदा कलाकार भी जरूर होगा ”
“हाँ, वही हीरोइन जिसने, हम तेरे बिन फिल्म की थी,,, बहुत क्यूट है, आजकल हमारी पार्टी में ही है ”
“छी कितनी घटिया पंसद है आपकी, आपकी तरह ”
“अरे बहू में कुछ तमीज नाम की चीज भी है कि नहीं, क्या इसलिए बुलाया था शादी में,,, बेइज़्ज़त करने को ”
प्रशान्त को भी बहुत गुस्सा आ रहा था,,, आज तक ऐसी हरकत तो नही की पर आज क्या हो गया दामिनी को। सारे पत्रकार, फोटोग्राफर कवर कर रहे थे इस दृश्य को।
“तुम्हारी पंसद को जलील किया तो बडा गुस्सा आया….ऐसा कहकर सोफे के गददे के नीचे से एक न्यूज पेपर निकाल कर मंत्री जी की ओर दिखा कर… “चटाक” जोरदार थप्पड रसीद दिया।
“फिर तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई थी हमारे हीरो पर हाथ उठाने की? ये हमारे पसंदीदा हीरो है जो देश की हमारी सुरक्षा में लगे हैं, जबकि इनका कसूर इतना था कि ड्यूटी के दौरान तलाशी ली तुम्हारी…”
कुछ दिनों बाद दामिनी की लाश मिली थी उसके ही घर में, राजनीति से दूर रहने बाली, राजनीति की ही भेंट चढ़ गई।
— किन्तु रजनी विलगैंया