“दोहा मुक्तक”
प्रदत शीर्षक- शहद – पुष्परस, मधु, आसव, रस, मकरन्द।
शहद सरीखे लय मधुर, लाल रसीले होठ
नैना पट लजवंत हैं, चंचल चाह प्रकोष्ठ
लट लटकाये कामिनी, घूमत जस मकरंद
पुष्परस मधु विहारिणी, संचय छ्त्ता गोठ॥
महातम मिश्रा, गौतम गोरखपुरी
प्रदत शीर्षक- शहद – पुष्परस, मधु, आसव, रस, मकरन्द।
शहद सरीखे लय मधुर, लाल रसीले होठ
नैना पट लजवंत हैं, चंचल चाह प्रकोष्ठ
लट लटकाये कामिनी, घूमत जस मकरंद
पुष्परस मधु विहारिणी, संचय छ्त्ता गोठ॥
महातम मिश्रा, गौतम गोरखपुरी