** ख़ता **
बूँद यारा शराब हो जाये
गर नज़र से जनाब हो जाये
गर फरिश्तों का हो करम मुझ पर
हर ख़ता भी सबाब हो जाये
क्यों रहे डर हमें सवालों का
मन जो हाज़िर जवाब हो जाये
लब नुमाइश अगरचे कर दें तो
लफ़्ज़ हर बेनक़ाब हो जाये
रात “मुस्कान”हो गई देखो
इतना सो लो कि ख़ाब हो जाये
निर्मला “मुस्कान”
सुंदर