“लावणी छंद”
सुबह सुबह जप हरी का नाम, दिन और रात . ….सुधार ले
होय प्रभु की महिमा न्यारी, सुलहा…..सीख…….उधार ले।।
महल अटारी धरि रह जाए, नाता…….रिश्ता दुवार ले
अंत समय का साथ अकेला, अविनाशी को पुकार ले।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
सुबह सुबह जप हरी का नाम, दिन और रात . ….सुधार ले
होय प्रभु की महिमा न्यारी, सुलहा…..सीख…….उधार ले।।
महल अटारी धरि रह जाए, नाता…….रिश्ता दुवार ले
अंत समय का साथ अकेला, अविनाशी को पुकार ले।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी