कुछ हाइकु…….
1-
आई बरखा
नाचती गाती गोरी
वन में मोर॥
2-
पानी पानी है
चहु दिश बदरी
पी चितचोर॥
3-
लजाये नैना
भीगत पट सारी
वा मनमोर॥
4-
दर दूर से
गागर भरी लाई
छलके कोर॥
5-
चाह मिलन
सावन पिय पाई
न कर शोर॥
6-
उड़े विहग
भीजत घर वारी
टपके पोर॥
7-
धरी कठौता
बूंद जतन करूँ
चातक लोर॥
8-
साध सगुन
किलके किलकारी
नाचत घोर॥
9-
ड्योढ़ी दीपक
बिन महल अटारी
चिंतित भोर॥
10-
अंकुर देखी
पुलकित बगिया
आवत गोर॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
सुंदर हाइकू आदरनीय महातम मिश्र जी . बधाई आप को .
सादर धन्यवाद ओमप्रकाश जी, हार्दिक आभार
आपकी तस्वीर यहाँ से लेने से अच्छी नहीं हो रही …. पुस्तक के लिए अपनी एक तस्वीर और अपना परिचय मेल कर सकें तो अति उत्तम
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सादर धन्यवाद आदरणीया, हृदयतल से आप का आभारी हूँ, अभी इसी मेल पर भेज रहा हूँ…….
साझा संग्रह/शत हाइकुकार/साल शताब्दी ….. नामक पुस्तक के लिए आपके 8 हाइकु ले लिए मैंने …. सादर
यह मेरा सौभाग्य है कि आप ने मेरी रचना को इस उन्न्त पुस्तक मे स्थान प्रदान किया है जिससे मेरा मनोबल और भी प्रेरित हुआ है, हार्दिक आभार आदरनिया
आदरनीय विभा दीदी आप का यह संग्रह शीघ्र व उम्दा निकले . यही कामना है.
सादर धन्यवाद प्रकाश जी, हार्दिक शुभकामना हेतु, आभार