गीतिका/ग़ज़ल

दो कश

दो कश तुम पियो दो हम पियें के सब कुछ भूल जाए हम

, लो बेठो सामने मेरे ग़ज़ल तुमको सुनायें हम।

 

करो इरशाद के शुरुआत हो ग़ज़ल के पहले शेर की ,

ना हो ऐसा की तुमको देख कर बस मुस्कुराएं हम।

 

ये हुई न बात के थामा है इन हाथों को अब तुमने ,

लो आओ सैर गुलशन की अब तुमको कराएं हम।

 

ये कैसी बेरुखी चेहरे पे आकर लौट जाती है,

तुम्हे कुछ पूछना है क्या ,लो आओ सब बताएं हम।

 

ये जो ज़ुलफें तुम्हारी हैं बड़ा ही ज़ुल्म करती हैं

तुम्हे एतराज ना हो तो गालों से खुद हटायें हम ।

 

जो कहना है वो कह डालो , जो करना है वो कर डालो ,

ये जो नादान दो दिल हैं , क्यों इनको अब सताएं हम ।

 

कितने अनजान बनते हो ,पूछते हो पता अपना ,

कहा ना दिल में रहते हो या सीना चीर दिखाएँ हम ।

विजय गौत्तम

नाम- विजय कुमार गौत्तम पिता का नाम - मोहन लाल गौत्तम पता - 268 केशव नगर कॉलोनी , बजरिया , सवाई माधोपुर , राजस्थान pin code - 322001 फोन - 9785523446 ईमेल - [email protected] व्यवसाय - मैंने अपनी Engineering की पढाई Arya college , Kukas , jaipur से Civil engineering में पूरी की है एवं पिछले 2 सालों से Jaipur Engineering College , Kukas , jaipur में व्याख्याता के पर कार्यरत हूँ । ग़ज़लें लिखना बहुत अच्छा लगता है ।