वो सब भुला दिया हमने
इरादों में जो आई हैं कुछ तब्दीलियां जब से ,
हसीनो इश्क़ का मौसम वो सब भुला दिया हमने।
ये दिल जिसने ना जाना था कभी क्या होता है आंसू ,
बड़ी नाज़ों से रक्खा था , आज उसको रुला दिया हमने ।
बड़े दिनों से साज़िश थी दो दिलों के मिलने की ,
हम हड्डी थे कबाब में , लो उनको मिला दिया हमने |
अब मदहोश बेठे हैं मैखाने में तबियत से ,
ये जाम बेवफाई का , सबको पिला दिया हमने |
तुम बेख़ौफ़ होकर जियो जानम, ना कोई इलज़ाम आएगा ,
सबूत-ऐ-आशिकी अपने , सब कुछ मिटा दिया हमने।
अब होंगे सभी शायर के ग़ज़लें मुस्कुराएंगी ,
हुनर-ऐ- शायरी अपना , सबको सिखा दिया हमने।