गीतिका/ग़ज़ल

वो सब भुला दिया हमने

इरादों में जो आई हैं कुछ तब्दीलियां जब से ,

हसीनो इश्क़ का मौसम वो सब भुला दिया हमने।

 

ये दिल जिसने ना जाना था कभी क्या होता है आंसू ,

बड़ी नाज़ों से रक्खा था , आज उसको रुला दिया हमने ।

 

बड़े दिनों से साज़िश थी दो दिलों के मिलने की ,

हम हड्डी थे कबाब में , लो उनको मिला दिया हमने |

 

अब मदहोश बेठे हैं मैखाने में तबियत से ,

ये जाम बेवफाई का , सबको पिला दिया हमने |

 

तुम बेख़ौफ़ होकर जियो जानम, ना कोई इलज़ाम आएगा ,

सबूत-ऐ-आशिकी अपने , सब कुछ मिटा दिया हमने।

 

अब होंगे सभी शायर के ग़ज़लें मुस्कुराएंगी ,

हुनर-ऐ- शायरी अपना , सबको सिखा दिया हमने।

विजय गौत्तम

नाम- विजय कुमार गौत्तम पिता का नाम - मोहन लाल गौत्तम पता - 268 केशव नगर कॉलोनी , बजरिया , सवाई माधोपुर , राजस्थान pin code - 322001 फोन - 9785523446 ईमेल - [email protected] व्यवसाय - मैंने अपनी Engineering की पढाई Arya college , Kukas , jaipur से Civil engineering में पूरी की है एवं पिछले 2 सालों से Jaipur Engineering College , Kukas , jaipur में व्याख्याता के पर कार्यरत हूँ । ग़ज़लें लिखना बहुत अच्छा लगता है ।