समाजवादियों को मिली साफ चेतावनी
बसपा में बगावतों के बाद अब समाजवादियों को भी चेतावनी मिलनी शुरू हो गयी है। इस बार चेतावनी किसी बाहरी नेता ने नहीं अपितु समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव ने ही दे डाली है। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव जब पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चंद्रशेखर की नौवीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे तभी उन्होंने अपने लोगों को आगाह करते हुए कहा कि अपनी छवि व आचरण पर ध्यान दो। उनका कहना था कि उन्हें पूरे प्रदेश की सारी जानकारी है कि कौन सा कार्यकर्ता कहां क्या कर रहा है। उन्होंने कहा कि सपा के कई कार्यकर्ता जमीन और पैसे के लिए दबंगई करने लग गये हैं। इससे पार्टी की बदनामी हो रही है। सबके बारे में मुझे पता है, ऐसे लोग सुधर जायें। हम नजर रखने में माहिर हैं। अब पार्टी भी चलानी है इसलिए समय-समय पर चेतावनी देता हूं। सपा मुखिया का कहना था कि जनता से ऐसे रिश्ते रखिए कि सरकार दोबारा बन जाये।
उधर सपा मुखिया का नसीहत देने वाला बयान आते ही प्रदेश के सभी विरोधी दल समाजवादी सरकार के खिलाफ हमलावर हो गये। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य का कहना था कि सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने अपने मंत्रियों और विधायकों द्वारा लूट किये जाने की बात कहकर सरकार के भ्रष्टाचार की पुष्टि कर दी है। राजनैतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि विधानसभा चुनावों के कुछ माह पूर्व ही सपा मुखिया की ओर से अपने कार्यकर्ताओं को दी गयी नसीहत सपा के लिए खतरे का संकेत है। सपा मुखिया को अपने सूत्रों से पता चल चुका है कि इस बार समाजवादी पार्टी की सत्ता में वापसी बहुत ही कठिन है। यही कारण है कि सपा मुखिया समय-समय पर सुधरने की नसीहत देते रहते हैं। लेकिन कार्यकर्ता हैं कि सुधर ही नहीं रहे।
जिस दिन सपा मुखिया अपने कार्यकर्ताओं को नसीहत दे रहे थे ठीक उसी दिन प्रदेश सरकार में खाद्य एवं रसद राज्य मंत्री लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद को हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद कोर्ट में हाजिर न होने पर संतकबीर नगर के सीजेएम संजय कुमार गौड़ ने जेल भेज दिया। ज्ञातव्य है कि राज्य मंत्री पर एक पुराने मामले में गैर जमानती वारंट था, लेकिन वह अदालत मंें हाजिर नहीं हो रहे थे। राज्यमंत्री पर घर में घुसकर मारपीट करने का आरोप है।
दूसरी तरफ राजधानी लखनऊ में ही चिनहट के बाघामऊ गांव में समर्थकों के साथ जमीन पर कब्जे के विवाद में खुलेआम गुंडागर्दी करने वाले सपा के जिला पंचायत सदस्य विजय बहादुर यादव को सीएम के कड़े रुख के बाद गिरफ्तार कर लिया गया। प्राप्त खबरों के अनुसार एक विवादित जमीन पर कब्जा करने पहंुचे विजय बहादुर व उनके समर्थकों ने बुजुर्गो और महिलाओं को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा जिससे पूरे गांव में दहशत फैल गयी। ग्रामीणों द्वारा पुलिस को सूचना देने के बाद भी कोई अधिकारी मौके पर नहीं पहंुचा, जिससे ग्रामीण भड़क गये और घायलों को लेकर एसएसपी आवास पहुंचे और हंगामा शुरू कर दिया। वहां से उन्हें अस्पताल भिजवाया गया। इसके बाद विजय बहादुर और उनके समर्थकों ने सड़क जाम करके प्रदर्शन शुरू कर दिया। हंगामेबाजी के बाद सीएम के कड़े तेवरों के चलते विजय बहादुर यादव और उनके दो साथियों को भी हिरासत में ले लिया गया है। इस कार्यवाही के बाद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विजय बहादुर और उनकी पत्नी तथा जिला पंचायत अध्यक्ष माया यादव के खिलाफ जमीनों पर अवैध कब्जे की शिकायतों पर कड़ा रुख अपनाते हुए दोनों को ही पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है।
विजय बहादुर प्रकरण पर सर्वाधिक महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि माफिया होने के बावजूद उसे गनर मिला हुआ था और उसके रौब के आगे पुलिस भी झुकी रहती थी। प्रशासन में भी उसकी काफी पहुंच थी। उसेक एक इशारे पर पुलिस दौड़ पड़ती थी। आज समाजवादी पार्टी के बिगड़ैल कार्यकर्ताओं के लिए कुछ सीमा तक सपा मुखिया मुलायम सिह यादव और मुख्यमंत्री भी कम जिम्मेदार नहीं है। पहले से ही यदि यह लोग समय-समय पर कड़ी कार्यवाहियां करते रहते तो आज समाजवादी पार्टी के ये हालात न होते। एक प्रकार से समाजवादी मुखिया ने पार्टी कार्यकर्ताओं को नसीहत देकर अपनी जमीनी हकीकत कुछ हद तक समझ ली है कि आगे आने वाला चुनावी समर उनके लिए कतई आसान नहीं रह गया है। सपा मुखिया ने अपनी आधी हार को स्वीकार कर ही लिया है। विपक्ष सरकार व दल पर जो आरोप लगाता रहा है उसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है।
— मृत्युंजय दीक्षित
अच्छा लेख. पर सपा मुखिया कुछ भी कह लें या कर लें, सत्ता में उनकी वापसी असंभव है. इस बार तो भाजपा की सरकार बनेगी.
अच्छा लेख. पर सपा मुखिया कुछ भी कह लें या कर लें, सत्ता में उनकी वापसी असंभव है. इस बार तो भाजपा की सरकार बनेगी.