“दोहा मुक्तक”
शिर्षक- ताल,सरोवर, पोखर ,तड़ाग ,तालाब)
ताल तलैया भर गए, बहे सरोवर वाढ़
कहि सुखी सी बादरी, वर्षा तड़क अषाढ़।
हाहाकार मचा रहे, पोखर अरु तालाब
तक रही बखरी मेरी, चिंता कसक कुषाढ़॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
शिर्षक- ताल,सरोवर, पोखर ,तड़ाग ,तालाब)
ताल तलैया भर गए, बहे सरोवर वाढ़
कहि सुखी सी बादरी, वर्षा तड़क अषाढ़।
हाहाकार मचा रहे, पोखर अरु तालाब
तक रही बखरी मेरी, चिंता कसक कुषाढ़॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
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मुक्तक ठीक है, पर दूसरा दोहा स्पष्ट नहीं है.
सादर धन्यवाद आदरणीय विजय जी, उचित है , सुधार दूंगा सर