साथी मेरे सीप का, मोती मत विखराय
स्वाती मेरे नैन से, नाहक मत बरसाय
नाहक मत बरसाय, जानती ये विष पीना
सीमा खुद सिखलाय, पलक जाने है जीना
कह गौतम कविराय, बिना दातों की हाथी
भले रूप सरखाय, महावत गरजे साथी॥
शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज
जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन
जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र.
हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ