गीतिका/ग़ज़ल

“गीतिका छंद”

बह्र, 2122, 2122, 2122, 212

मोहना तोरी बंसी है, चाह चित मोरी बसी
चोर जाते हो कन्हाई, राग सखियों की हंसी।

बाढ़ यमुना की चढ़ी है, डूब जाती आस जी
सून लागे रात कारी, नट नचाओ रास जी।।

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ