मुक्तक
बनी है आजकल शिक्षा भी इक व्यापार तुम देखो
है उसके सामने हर आदमी …….लाचार तुम देखो
भला कब तक पढ़ाई के लिए …….दौलत लुटाएंगे
अँधेरे गर्त में जाता हुआ …………संसार तुम देखो
रमा प्रवीर वर्मा
बनी है आजकल शिक्षा भी इक व्यापार तुम देखो
है उसके सामने हर आदमी …….लाचार तुम देखो
भला कब तक पढ़ाई के लिए …….दौलत लुटाएंगे
अँधेरे गर्त में जाता हुआ …………संसार तुम देखो
रमा प्रवीर वर्मा