लघुकथा : भूल सुधार
प्रताप सिंह अपने 12 बर्षीय बीमार बेटे को डॉक्टर को दिखाकर, दवाई लिए लौट रहे थे l अँधेरा गहरा चला था l वे लोग गाँव की सुनसान और संकरी गली से होकर गुजर रहे थे l इतने में पंडत रौलू राम आगे से आता हुआ दिखाई दिया l उसके घर यहाँ से कुछ ही कदम की दूरी पर थे l
चाँद की हल्की दुधिया रौशनी में उसके पीले दांतों के भीतर की खाली जगह साफ़ दिखाई दे जाती थी l प्रताप सिंह जैसे ही औपचारिकता स्वरुप हाथ मिलाने को हुए तो रौलू सकपका कर पीछे हो लिया l कहने लगा मैं ऐसी सुनसान जगह पर किसी से हाथ नहीं मिलाता l इस समय बुरी शक्तियां सक्रीय होती हैं !
प्रताप सिंह को थोड़ा अचरज हुआ l वे उसकी इस हरकत पर अधिक ध्यान न देते हुए बेटे को साथ लिए आगे निकल गए l आगे गाँव में दो – चार लोग बातें कर रहे थे l हरिया बता रहा था कि कैसे रौलू को 2 दिन पहले कुछ लोगों ने खरी – खोटी सुनाते हुए आचरण और संस्कारों का पाठ पढ़ाया था l वह लघुशंका के पश्चात बिना पानी स्पर्श किये ही कुछ राहगीरों से हाथ मिला रहा था l प्रताप सिंह और उनके बेटे को अब सारा मामला समझ में आ गया था l वे रौलू राम की भूल सुधार से मन ही मन प्रसन्न थे l बुरी शक्तियों का रहस्योद्घाटन हो चुका था l
-मनोज चौहान