पहेलियाँ – 4
(1)
चपटी-चपटी, वृत्ताकार
इसमें ही सारा संसार
जिन-जिन को यह मिलती नित्य
कहता भगवन को आभार
उत्तर – रोटी
(2)
बीत गया था इसका टाइम
बना अचानक फिर से प्राइम
“मिर्ची” ने सब मदद दिलायी
किया न इसने कोई क्राइम
उत्तर – रेडियो
(3)
दाल-भात का पक्का दोस्त
रोटी का भी यार
कभी अकेला भी आ जाए
जीभ भरे चटखार
उत्तर – अचार
(4)
घर से उसे उठाया मैंने
चाकू से कटवाया मैंने
इतने से भी नहीं भरा मन
तो कच्चा ही खाया मैंने
उ्त्तर – खीरा
(5)
ये कैसा जादू का खेल?
मिला जहाँ नींबू का मेल
फाड़ तरल को निकला ठोस
स्वाद कराए रेलमपेल
उत्तर – पनीर