गीत/नवगीत

“लोकगीत”

 

होइहे मिलनवा, हो हमार मितवु
तनि राखहु थीर, चितचाह हितवु
मन में ललक बा, साधि पुरइब जियरा
गले मिलब ज़ोर ज़ोर, से लगाइब चितवु…….जल्दी…..होइहें मिलनवा ……
अनुज नेहिया तुहार, ते रुलाई दिहलस
आज दुपहर में तारा, दिखाई दिहलस
अस लागेला मोर-तोर, प्रीति बा पुरान
मन में आशा किरिनिया जगाई दिहलस…….जल्दी…..होइहें मिलनवा ……
खूब होनहर रह, खूब झलकह रह
खूब अपना सिवाने में, चमकत रह
ई प्रीति के फसल, लहलहाते रही
माँ- बाप के अंजोरिया मे पुलकत रह …….जल्दी…..होइहें मिलनवा ……
एही गुण के बढ़ाव, कचर मगही के पान
अपने बगिया में लहर लाला साँझ बिहान
नाम रोशन कर, बढ़ी जा कुल परिवारा
अंजोरीया मे नहा जा, तुहार आन बान शान…….जल्दी…..होइहें मिलनवा ……

महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी

*महातम मिश्र

शीर्षक- महातम मिश्रा के मन की आवाज जन्म तारीख- नौ दिसंबर उन्नीस सौ अट्ठावन जन्म भूमी- ग्राम- भरसी, गोरखपुर, उ.प्र. हाल- अहमदाबाद में भारत सरकार में सेवारत हूँ