सावन मुक्तक
वादियों की शहनाई बनके गरजता है सावन,
प्रेमियों की खुशी बनके छलकता है सावन,
वर्षों से गोरी बैठी जो पीया मिलन की आस में,
उस विरहन के आँसू बनके बरसता है सावन।
-दीपिका कुमारी दीप्ति
वादियों की शहनाई बनके गरजता है सावन,
प्रेमियों की खुशी बनके छलकता है सावन,
वर्षों से गोरी बैठी जो पीया मिलन की आस में,
उस विरहन के आँसू बनके बरसता है सावन।
-दीपिका कुमारी दीप्ति