प्रदेश की राजनीति में गाली कांड से किसको लाभ ?
आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अब उप्र की राजनीति गर्मा गयी है। विगत कई दिनोें से एक के बाद एक बगावत के झंझावात झेल रही बसपा अचानक से उभरकर सामने आ गयी हैं वह भी भाजपा के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह की अभद्र भाषा के प्रयोग के कारण। जब से संसद का मानसून सत्र प्रारम्भ हुआ है तब से बसपा नेत्री मायावती गुजरात, हरियाणा और महाराष्ट्र आदि भाजपा शासित राज्यों में दलितों पर हो रहे ‘अत्याचारों’ के मुद्दे उठाकर भाजपा को घेरने का असफल प्रयास कर रही थीं। लेकिन इसी बीच उप्र के पूर्व प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने बसपा नेत्री मायावती के खिलाफ कुछ अपमानजनक टिप्पणी करके उन्हें लगता है संजीवनी प्रदान कर दी है।
इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम का पहला चरण निश्चय ही भाजपा के लिए बहुत ही भारी पड़ गया है। दयाशंकर सिंह के बयानों के कारण केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली तक को माफी मांगनी पड़ गयी और प्रदेश भाजपा को हाईकमान के आदेशों का पालन करते हुए दयाशंकर सिंह को छह वर्ष के लिए पार्टी से निकालना भी पड़ गया। राजनैतिक विश्लेषकों की ओर से अनुमान लगाया जा रहा है कि इस पूरे प्रकरण से बसपा लाभ की स्थिति में आ सकती है तथा बसपा नेत्री मायावती इस पूरे प्रकरण को अब उसी तर्ज पर चुनावों में भुनाने का प्रयास करेंगी जिस प्रकार से बिहार के विधानसभा चुनावों में पीएम मोदी के डीएनए वाले बयान फिर संघप्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण वाले बयान को विरोधियों ने भुना लिया।
आज सोशल मीडिया में अपशब्दों की राजनीति पर खूब चर्चा हो रही है। भाजपा की ओर से दयाशंकर सिंह को निकाले जाने के बाद मायावती ने एक पत्रकार वार्ता में कहा कि यदि भाजपा अपनी ओर से दयाशंकर पर एफआईआर दर्ज करवाती तो दिल जीत लेती। राजनैतिक विश्लेषकों का अनुमान है कि ताजा घटनाक्रम से बसपा को वार्मअप का मौका मिल गया है। कारण यह है कि बसपा के लिए आगामी विधानसभा चुनाव करो या मरों की स्थिति वाले मैच की तरह हो गये हैं। इस प्रकरण से भाजपा ने अपने विरोधियों को भी साफ संकेत दे दिये हैं कि लोकतंत्र में आलोचना का अधिकार सभी को है लेकिन अपमानजनक शब्दावली का प्रयोग करने की छूट किसी को नहीं दी जा सकती।
जबकि दूसरी ओर राजधानी लखनऊ में बसपा कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतरकर जिस प्रकार से दयांशंकर सिंह के परिवार के खिलाफ व अन्य लोगों के खिलाफ अपमानजनक शब्दों की झड़ी लगायी वह लोकतंत्र का और भी अधिक शर्मनाक परिदृश्य पैदा कर रहा है। कहा जा रहा है कि प्रदर्शन के दौरान बसपा कार्यकर्ताओं ने सभी मर्यादाओं को ताक पर रखकर मंच से नेताओं की उपस्थिति में ही हजारों गालियां दे डालीं। बसपा कार्यकर्ताओं की गालियों से दयाशंकर सिंह का परिवार ही नहीं अंदर ही अंदर पूरी भाजपा सकते में है। आज दयाशंकर सिंह का परिवार पूरी तरह से असुरक्षित हो गया है। यही कारण है कि अब अपमान से आहत होकर दयाशंकर सिंह की पत्नी भी बसपा नेताओं के खिलाफ नये सिरे से एफआईआर लिखवाने की तैयारी कर रही हैं, वहीं दयाशंकर की बेटी ने घबराहट के चलते स्कूल जाना छोड़ दिया है। बसपा कार्यकर्ता गालियां देकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं तथा उन्हें उम्मीद है कि यदि यह गुस्सा कायम रहा तो इससे आगामी चुनावांे में लाभ हो सकता है।
बसपा नेत्री मायावती का कहना है कि यदि भाजपा ने अपनी ओर से एफआईआर करवायी होती तो वह हमारा दिल जीत लेती। यहां पर बसपा नेत्री मायावती को कई बातों की याद दिलाने की महती आवश्यकता है जिसके बाद उनकी पोल खुल जायेगी। बसपा नेत्री मायावती को समाजवादी सरकार के कार्यकाल में गेस्ट हाउस कांड तो अच्छी तरह से याद होना ही चाहिये जब भाजपा ने ही उनकी जान बचायी थी और इसके बदले में भाजपा को अपने एक लोकप्रिय नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी को खोना पड़ गया था। यह पूर्व भाजपा सांसद व नेता लालजी टंडन ही थे जो सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने व उनके प्रति सुरक्षा के भाव को बढ़ाने के लिए ही उनके घर रक्षाबंधन के अवसर पर राखी बंधवाने के लिए गये थे। यह भाजपा ही थी जिसके दम पर मायावती को कम से कम दो बार मुख्यमंत्री बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती का दिल कभी नहीं पसीजा उन्होंने हर बार भाजपा को ही भला-बुरा कहा और गालियां दी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार को एक वोट से गिराने की साजिश में शामिल हो गयी। केंद्र में कहीं गलती से भाजपा न आ जाये इसलिए वह मनमोहन सरकार को बाहर से समर्थन देती रहीं और दलितों के साथ तथा प्रदेश की जनता के साथ लगातार धोखा करती रहीं।
बसपा सुप्रीमो मायावती ने विगत लोकसभा चुनावों के प्रचार के दौरान पीएम मोदी के खिलाफ जमकर अपमानजनक टिप्पणियां की और अभी पीएम मोदी के खिलाफ जहर उगलने में मायावती जी ही आगे रहती हैं लेकिन जब उनका अपमान हुआ तो उन्हें इस बात का एहसास हो जाना चाहिये कि एक न एक दिन अपमान के बदले अपमान का घूंट पीना ही पड़ जाता है। बसपा नेत्री मायावती अपने आप को स्वयं ही गरीबों की देवी घोषित कर रही हैं जो बेहद हास्यास्पद है। बसपा नेत्री मायावती जी क्या हैं यह तो उन्हीं की पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य और आर. के. चैधरी स्वयं ही बता रहे थे लेकिन भाजपा जैसी अनुशासित पार्टी के नेताओं को सीधे तौर पर अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने से अवश्य बचना चाहिये, वह भी तब जब भाजपा के खिलाफ गहरी साजिशों का दौर शुरू हो चुका हो। एक तरफ पीएम मोदी का आचरण देखने और प्रचारित करने लायक है कि उनके खिलाफ उनके विरोधी कितने तीखे ढंग से और बेहद अपमानजनक तरीके से उन्हें अपमानित करने का कई अवसर नहीं छोड़ते, लेकिन उन्होंने कभी अशालीनता का प्रदर्शन इस तरह नहीं किया है।
अब भाजपा भी बसपा के खिलाफ बेहद आक्रामक तरीके से हमलावर हो गयी है। बसपा के प्रदर्शन के दौरान जिस प्रकार से भाजपा उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह के परिवार की महिलाओें के खिलाफ बेहद आपत्त्जिनक शब्दों का प्रयोग किया गया उसके कारण आहत मां, पत्नी और बेटी की तरफ से बसपानेत्री मायावती और पार्टी के कई बड़े नेताओं के खिलाफ एफआइआर दर्ज करा दी गयी है। साथ ही भाजपा ने भी पूरे प्रदेशभर में बसपा के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया है। आज प्रदेश की राजनीति में यह गाली-गलौच जहां टीवी मीडिया में जोरदार बहस का केंद्र बिंदु बन गया है। वहीं सोशल मीडिया में जबर्दस्त ढंग से माया विरोधी अभियान प्रारम्भ हो गया है। अपने अपमान को मुद्दा बनाकर बसपा नेत्री मायावती ओर भाजपा विरोधी सभी दल अब दलितों का ध्रुवीकरण करवाना चाह रहे हैं वहीं सवर्ण मतदाता भी अब बसपा से छिटक सकते हैं। जबकि बसपा-भाजपा के बीच चले रहे गाली कांड का फिलहाल अन्य दल मजा ले रहे हैं।
इस समय भाजपा के पास कई ऐसे गर्म विषय थे जिनके आधार पर वह सपा और कांग्रेस को परेशान कर सकती थी लेकिन इस प्रकरण के चलते भाजपा का सीधा सामना फिलहाल बसपा के साथ हो गया है जोकि उसकी रणनीति के लिहाज से बेहद खतरनाक हो सकता है। लेकिन फिलहाल टीवी मीडिया सोशल मीडिया और विभिन्न मंचों के माध्यम से जो सर्वे किये जा रहे हैं उनमें फिलहाल भाजपा ही बढ़त बनाये हुये है। लेकिन जितनी जल्दी हो सके भाजपा को इस प्रकार की आमने- सामने की स्थिति से बचना होगा, नहीं तो कोई तीसरा पतली गली से लाभ उठा भी सकता है।
— मृत्युंजय दीक्षित