महफ़ूज़ रहे मुल्क हिफ़ाज़त की बात कर
इज्जत की बात कर न सियासत की बात कर ।
महफ़ूज़ रहे मुल्क हिफ़ाजत की बात कर ।।
तहजीब के कातिल हुए बेख़ौफ़ बदजुबाँ ।
उम्मीद में न इनसे शराफ़त की बात कर ।।
अब तो सही गलत पे है चरचा फिजूल सब ।
कैसे लगी है आग हिमाकत की बात कर ।।
मथुरा के गुनहगार भी शरीफ हो गए ।
उनसे मिली जो आज हिदायत की बात कर ।।
बेटों के नाम कुर्सियाँ आबाद हो रहीं ।
अब तो जम्हूरियत में वसीयत की बात कर ।।
माँ बेटियों के दर्द से वाकिफ कहाँ है वो ।
ऐसे दुशासनो से सलामत की बात कर ।।
कुछ भूत भागते नही हैं बात से कभी ।
थोड़ी अकल के साथ कहावत की बात कर ।।
जिन्दा रहे न कोई दरिन्दा जहान में ।
आते चुनाव में तू हजामत की बात कर ।।
नागन है इक तरफ तो नाग कुर्सियो पे है ।
लेकर खुदा का नाम रियासत की बात कर ।।
वर्षों से लुट रहा है यहां आम आदमी ।
अपनी दुआ में साफ़ हुकूमत की बात कर ।।
— नवीन मणि त्रिपाठी