गीतिका/ग़ज़ल

महफ़ूज़ रहे मुल्क हिफ़ाज़त की बात कर

इज्जत की बात कर न सियासत की बात कर ।
महफ़ूज़  रहे  मुल्क  हिफ़ाजत  की  बात  कर ।।

तहजीब  के  कातिल   हुए  बेख़ौफ़  बदजुबाँ ।
उम्मीद  में  न  इनसे  शराफ़त  की  बात  कर ।।

अब  तो सही  गलत  पे है चरचा फिजूल सब ।
कैसे  लगी  है  आग  हिमाकत  की बात कर ।।

मथुरा  के   गुनहगार   भी  शरीफ   हो   गए ।
उनसे मिली जो आज हिदायत की बात कर ।।

बेटों   के  नाम   कुर्सियाँ  आबाद   हो   रहीं ।
अब तो जम्हूरियत में वसीयत की बात कर ।।

माँ बेटियों  के  दर्द  से  वाकिफ  कहाँ  है वो ।
ऐसे  दुशासनो  से  सलामत  की  बात  कर ।।

कुछ  भूत  भागते  नही   हैं  बात   से  कभी ।
थोड़ी अकल के साथ कहावत की बात कर ।।

जिन्दा  रहे   न   कोई   दरिन्दा  जहान    में ।
आते  चुनाव  में  तू  हजामत की  बात कर ।।

नागन  है  इक तरफ तो  नाग  कुर्सियो  पे है ।
लेकर खुदा  का नाम रियासत की बात कर ।।

वर्षों   से  लुट  रहा   है  यहां   आम  आदमी ।
अपनी दुआ में साफ़  हुकूमत की  बात कर ।।

— नवीन मणि त्रिपाठी

*नवीन मणि त्रिपाठी

नवीन मणि त्रिपाठी जी वन / 28 अर्मापुर इस्टेट कानपुर पिन 208009 दूरभाष 9839626686 8858111788 फेस बुक [email protected]