मुक्तक (लोरी) : घन/मेघ/बादल
माई माई के भाई मामा चंदा की मिताई
लेके दूध भात आजा मीठी भरी रसमलाई
आजा हो चंदा मामा ले चाँदी के कटोरवा
ये छाए घन बादल मेघा जामे गइल लुकाई॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
माई माई के भाई मामा चंदा की मिताई
लेके दूध भात आजा मीठी भरी रसमलाई
आजा हो चंदा मामा ले चाँदी के कटोरवा
ये छाए घन बादल मेघा जामे गइल लुकाई॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी