गीत/नवगीत

गीत : याद तुम्हारी आती है

सावन के महिने में प्रिय याद तुम्हारी आती है
तन पर पङती ये बूंदे फिर मन में अगन लगाती है

नही रुकता मन का आवेश हरदम यूं घबराता है
तङपन लिये ह्रदय में मेरे तेरा ख्याल सताता है
कह नही सकती तुमसे दिलबर आँख छलक ही जाती है
तन पर पङती ये बूंदे फिर मन में आग लगाती है

सावन के महिने में प्रिय याद तुम्हारी आती है
तन पर पङती ये बूंदे फिर मन में अगन लगाती है

तुझसे दूर रहकर मुझको चैन नही अब आता है
धीरे धीरे हौले हौले सावन आग लगाता है
सांसो की गरमाहट तेरी मुझको याद दिलाती है
तन पर पङती ये बूंदे फिर मन में आग लगाती है

सावन के महिने में प्रिय याद तुम्हारी आती है
तन पर पङती ये बूंदे फिर मन में अगन लगाती है

कठिन हो रहा अब यूं रहना कैसे दिल को समझाऊं
चाहत मेरी आंख खुले जब तुझको सामने मैं पाऊं
तुझसे मिलने की बेताबी मुझको यूं तङपाती है
तन पर पङती ये बूँदे फिर मन में अगन लगाती है

सावन के महिने में प्रिय याद तुम्हारी आती है
तन पर पङती ये बूंदे फिर मन में अगन लगाती है

*एकता सारदा

नाम - एकता सारदा पता - सूरत (गुजरात) सम्प्रति - स्वतंत्र लेखन प्रकाशित पुस्तकें - अपनी-अपनी धरती , अपना-अपना आसमान , अपने-अपने सपने [email protected]