शीर्षक मुक्तक
आज का शीर्षक- पाप/दुष्कर्म/ अनीति समानार्थी शब्द
पाप पाप होता सदा, कोई भी हो बाप
डंश जाता है आबरू, दूजे के सह आप
दुष्कर्म ही नींव रखे, उपजे अनीति धाम
पीड़ा दे जाते दुसह, पाल न बिच्छू सांप॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
आज का शीर्षक- पाप/दुष्कर्म/ अनीति समानार्थी शब्द
पाप पाप होता सदा, कोई भी हो बाप
डंश जाता है आबरू, दूजे के सह आप
दुष्कर्म ही नींव रखे, उपजे अनीति धाम
पीड़ा दे जाते दुसह, पाल न बिच्छू सांप॥
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी