कविता

ऋतु सावन की

मेघ जल बरसा रहे
धरती की अग्न मिटा रहे
कलि कलि मुस्का रही

किसान ख़ुशी से झूम रहे
अपने खेतों को चूम रहे
पशुओं की आवाज आ रही

इन्द्रधनुष की छटा देखो
काली काली घटा देखो
हवा कोना कोना महका रही

वर्षा की चर चर लगी
मेंडको की टर टर लगी
कोयल भी गीत गा रही

बादलों की गर्जन कहीं दूर
नाच रहे वन में मयूर
प्रकृति स्वयं को सजा रही

ऋतु सावन की सुहानी है
ये ऋतुओं की रानी है
‘अर्जुन’ को अत्यंत भा रही

अर्जुन सिंह नेगी
नारायण निवास, ग्राम व डाकघर कटगाँव
तहसील निचार जिला किन्नौर (हि० प्र०)

अर्जुन सिंह नेगी

नाम : अर्जुन सिंह नेगी पिता का नाम – श्री प्रताप सिंह नेगी जन्म तिथि : 25 मार्च 1987 शिक्षा : बी.ए., डिप्लोमा (सिविल इंजीनियरिंग), ग्रामीण विकास मे स्नातकोत्तर डिप्लोमा। पेशा : एसजेवीएन लिमिटेड (भारत सरकार एवं हिमाचल प्रदेश सरकार का संयुक्त उपक्रम) में सहायक प्रबन्धक के पद पर कार्यरत l लेखन की शुरुआत : सितम्बर, 2007 से (हिमप्रस्थ में प्रथम कविता प्रकाशित) l प्रकाशन का विवरण (समाचार पत्र व पत्रिकाएँ): दिव्य हिमाचल (समाचार पत्र), फोकस हिमाचल साप्ताहिक (मंडी,हि.प्र.), हिमाचल दस्तक (समाचार पत्र ), गिरिराज साप्ताहिक(शिमला), हिमप्रस्थ(शिमला), प्रगतिशील साहित्य (दिल्ली), एक नज़र (दिल्ली), एसजेवीएन(शिमला) की गृह राजभाषा पत्रिका “हिम शक्ति” जय विजय (दिल्ली), ककसाड, सुसंभाव्य, सृजन सरिता व स्थानीय पत्र- पत्रिकाओ मे समय- समय पर प्रकाशन, 5 साँझा काव्य संग्रह प्रकशित, वर्ष 2019 में अंतिका प्रकाशन दिल्ली से कविता संग्रह "मुझे उड़ना है" प्रकाशितl विधाएँ : कविता , लघुकथा , आलेख आदि प्रसारण : कवि सम्मेलनों में भागीदारी l स्थायी पता : गाँव व पत्रालय –नारायण निवास, कटगाँव तहसील – निचार, जिला – किन्नौर (हिमाचल प्रदेश) पिन – 172118 वर्तमान पता : निगमित सतर्कता विभाग , एसजेवीएन लिमिटेड, शक्ति सदन, शनान, शिमला , जिला – शिमला (हिमाचल प्रदेश) -171006 मोबाइल – 09418033874 ई - मेल :[email protected]

2 thoughts on “ऋतु सावन की

  • विजय कुमार सिंघल

    कविता में और अधिक परिपक्वता की आवश्यकता है.

    • अर्जुन सिंह नेगी

      मार्गदर्शन के लिए धन्यवाद सर
      जरुर प्रयास करूँगा

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