कविता : पिंडदान
कभी -कभी लगता …है
जी भर रो लूँ
ताकि …..बहा ..सकूँ
आँसुओं संग तुम्हारी
मोहब्बत… की तपिश
और दे आँऊ तिलांजलि
तुम्हारी कड़वी यादों को
किसी .. पिण्डदान की तरह ।
— पूनम
कभी -कभी लगता …है
जी भर रो लूँ
ताकि …..बहा ..सकूँ
आँसुओं संग तुम्हारी
मोहब्बत… की तपिश
और दे आँऊ तिलांजलि
तुम्हारी कड़वी यादों को
किसी .. पिण्डदान की तरह ।
— पूनम
Comments are closed.
बहुत खूब !!!!
बहुत खूब !!!!
बहुत खूब !