गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : बेटे छत खिड़की दरवाज़े और घर की अँगनाई बिटिया

बेटे छत खिड़की दरवाज़े और घर की अँगनाई बिटिया
सारे रिश्ते फूल चमेली और भीनी पुरवाई बिटिया

क़तरा क़तरा मोती बनकर निकला आँख की सीपी से
सात समन्दर सातों दरिया सीने में भर लाई बिटिया

मैंने इस एक झूठ को उससे जाने कितनी बार कहा
तेरी चूड़ी के जैसी है दुनिया की गोलाई बिटिया

आँखों में आकाश को भरकर जब आँगन से विदा हुई
सूरज का जा कान मरोड़ा तारों में मुसकाई बिटिया

रोक न पाया अपने आँसू जब उस तख़्ती को देखा
जिस पर नन्हे हाथों से तू लिखती थी अ-आ-ई बिटिया

कभी-कभी तो तीज त्योहारों पर आके मिल जाया कर
याद बहुत करती हैं तुझको तेरी चाची ताई बिटिया

अम्मा की कुछ फ़िक्र न करना उसकी तबीयत अच्छी है
राखी के दिन तुझको लेने आ जाएगा भाई बिटिया

ए. एफ़. ’नज़र’

ए.एफ़. 'नज़र'

अदबी नामः ए.एफ. ’नज़र’ मूल नामः अशोक कुमार फुलवारिया जन्मः 30 जून 1979 शिक्षाः एम.ए. (हिंदी साहित्य), नेट, सेट ,बी.एड., बी.एस.टी.सी. अध्ययन काल में पूर्व मैटिक स्कालरशिप से पुरस्कृत एवं ग्रामीण प्रतिभावान स्कालरशिप के तहत कोटा में अध्ययन प्रकाशनः पहल (ग़ज़लें, नज़्में) प्रकाशित, सहरा के फूल (ग़ज़लें, नज़्में) प्रकाशनाधीन, पिछले एक दशक से देशभर की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में व समवेत संकलनों में ग़ज़लें प्रकाषित, ’ख़्याले षगुफ्ता’ अंक-6 ए.एफ. ’नज़र’ परिशिष्ठ के रूप में प्रकाशित कवि सम्मेलन व मुशाइरों में शिरकत सम्मान/पुरस्कारः शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान-2013(उज्जैन), आॅल राउण्ड सर्वश्रेष्ठ ग़ज़ल पुरस्कार 2013 (फ़रीदकोट) सहित विभिन्न संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत व सम्मानित सम्प्रतिः व्याख्याता (स्कूल शिक्षा) सम्पर्कः ग्राम व डाक पिपलाई, तहसील बामनवास, ज़िला सवाई माधोपुर, (राज0) पिन-322214, मोबाइल-09649718589 ईमेल : [email protected]

2 thoughts on “ग़ज़ल : बेटे छत खिड़की दरवाज़े और घर की अँगनाई बिटिया

  • लीला तिवानी

    प्रिय नज़र भाई जी, अति सुंदर व सार्थक ग़ज़ल के लिए आभार.

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    आँखें नम हुई पढ़ बिटिया

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