कविता

भुखमरी मुस्कराती है !!!

मेरे देश में

भूखे रहने की तड़प

इत्र की महक से

ज्यादा खुशबूदार होती है

भुखमरी में बासी रोटी

भी पकवान होती है ….

तुम्हारे घर में रोटी

फेंकी जाती है

यह जानकर हैरानी होती है

हमारे लिए तो रोटी

भगवान् होती है…

अपनी जरूरत से ज्यादा

रखना अमीरों की

शान होती है …..

भूख में भी मुस्कराते

रहना हमारी

पहचान होती है …..

पहचान होती है …..

के एम् भाई

के.एम. भाई

सामाजिक कार्यकर्त्ता सामाजिक मुद्दों पर व्यंग्यात्मक लेखन कई शीर्ष पत्रिकाओं में रचनाये प्रकाशित ( शुक्रवार, लमही, स्वतंत्र समाचार, दस्तक, न्यायिक आदि }| कानपुर, उत्तर प्रदेश सं. - 8756011826

One thought on “भुखमरी मुस्कराती है !!!

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    भूख में भी मुस्कराते

    रहना हमारी

    पहचान होती है …..

    पहचान होती है ….. बहुत खूब . भूख में भी मुस्कराना अर्ब्पतिओ से भी ऊपर है .

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