गीतिका/ग़ज़ल

ग़ज़ल : कोई सूरत हो ज़िम्मेदारियों की याद रहती है

कोई सूरत हो ज़िम्मेदारियों की याद रहती है
मुझे हर वक़्त अपनी बेटियों की याद रहती है

बड़े शहरों में रहकर भी मैं अपनापन नहीं भूला
मेरे दिल में हमेशा भाइयों की याद रहती है

अकेले हम नहीं रहते हैं आलीशान बंगलों में
हमारे साथ टूटी झुग्गियों की याद रहती है

हवाओं में घुली रहती है तेरे जिस्म की खुशबू
बहारों में तेरी अँगड़ाइयों की याद रहती है

’नज़र’ बचपन में दादी माँ बताया करती थी मुझको
सितारों में कई शहज़ादियों की याद रहती है

ए. एफ़. ’नज़र’

ए.एफ़. 'नज़र'

अदबी नामः ए.एफ. ’नज़र’ मूल नामः अशोक कुमार फुलवारिया जन्मः 30 जून 1979 शिक्षाः एम.ए. (हिंदी साहित्य), नेट, सेट ,बी.एड., बी.एस.टी.सी. अध्ययन काल में पूर्व मैटिक स्कालरशिप से पुरस्कृत एवं ग्रामीण प्रतिभावान स्कालरशिप के तहत कोटा में अध्ययन प्रकाशनः पहल (ग़ज़लें, नज़्में) प्रकाशित, सहरा के फूल (ग़ज़लें, नज़्में) प्रकाशनाधीन, पिछले एक दशक से देशभर की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में व समवेत संकलनों में ग़ज़लें प्रकाषित, ’ख़्याले षगुफ्ता’ अंक-6 ए.एफ. ’नज़र’ परिशिष्ठ के रूप में प्रकाशित कवि सम्मेलन व मुशाइरों में शिरकत सम्मान/पुरस्कारः शब्द प्रवाह साहित्य सम्मान-2013(उज्जैन), आॅल राउण्ड सर्वश्रेष्ठ ग़ज़ल पुरस्कार 2013 (फ़रीदकोट) सहित विभिन्न संस्थाओं द्वारा पुरस्कृत व सम्मानित सम्प्रतिः व्याख्याता (स्कूल शिक्षा) सम्पर्कः ग्राम व डाक पिपलाई, तहसील बामनवास, ज़िला सवाई माधोपुर, (राज0) पिन-322214, मोबाइल-09649718589 ईमेल : [email protected]