बापू प्यार की पाती छोड़ गए …..
स्वतंत्रता सेनानियों और प्यारे बापू को समर्पित
क्यूँ कश्ती को यूँ मझधार में छोड़ गये …..छोड़ गए…
तुम तो गए हंसते हंसते……..2
हमें हाय रुला के चले गए; क्यूँ …………..
हमने पायी ऐसे आजादी;
जन मन में बसे चरखा खादी
बापू की इक हांक पे ………2
तुम तो नंगे पैरों दौड़ गए ; क्यूँ ……………
सत्य अहिंसा के पुजारी
लोहा माने दुनिया सारी
एक लाठी के डंडे से ……….2
डर देश फिरंगी छोड़ गए ……….क्यूँ…………
15 अगस्त 47 को
हमें आजादी दिलवाई है
देश हमारा फुले फले
य़े कसमें हमने खायी है
नफ़रत की खाई भरके ………..2
देखो दिल से दिल को जोड़ गए …….क्यूँ …….
क्यूँ आपस में हम सब लड़ें
चलो मिल जुल कर सब आगे बढ़ें
नफरतों के दौर में …………..2
बापू प्यार की पाती छोड़ गए ……….क्यूँ……..
राज कुमार भाई , देश प्रेम में रंगी कविता बहुत अछि लगी . देश में उन्ती तो बहुत हो रही है लेकिन आपसी भाईचारा भी उनत हो जाए तो आप की बात सही साबत हो जायेगी कि भारत को सोने की चिडीया बनने से कोई रोक नहीं सकता .
आदरणीय भाईसाहब ! हमारा देश वाकई तरक्की कर रहा है अपनी तमाम कमियों और बाधाओं के बावजूद । मैं कवि तो नहीं पर यूँ ही अपनी बात कहने की कोशिश की है और आपको अच्छी लगी पढ़कर दिल खुश हो गया । उत्साहवर्धक और सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आपका ह्रदय से धन्यवाद !
श्रद्धेय बहनजी ! स्वतंत्रता दिवस के इस शुभ अवसर पर यदि हम यह तय कर लें तो विश्व की कोई ताकत हमें फिर से सोने की चिड़िया बनने से नहीं रोक सकती । भाईचारा प्रेम और सदभाव से होकर ही विकास की गंगा बहती है । आपको रचना पसंद आयी पढ़कर बहुत हर्ष हुआ । अमुल्य मार्गदर्शन और उत्साहजनक सार्थक प्रतिक्रिया के लिए आपको ह्रदय से धन्यवाद ।
प्रिय राजकुमार भाई जी, बापू ने पाती में सच ही कहा है- चलो मिल जुल कर सब आगे बढ़ें. इसी से हमारी आज़ादी बरकरार रहेगी. आप जितना अच्छा गद्य लिखते हैं, उतना ही अच्छा पद्य भी. एक सर्वश्रेष्ठ एवं अतुलनीय गेय रचना के लिए आभार.