कविता : बहन की चिट्टी भाई के नाम
माँ का आँचल पिता की बाहें,
और तुम्हारी गोद भैया।
इन्ही सहारों की ताकत से,
सीखा चलना धरा पर भैया।
प्रेम और विश्वास की डोर से,
हम दोनों को माँ ने बाँध दिया।
अनमोल अटूट धागे से पिरोकर,
आजीवन रिश्ते से सजाया भैया।
दिल से बंधा यह रिश्ता,
दिल की भाषा ही समझता है।
आये किसी एक पर आँच,
तो दूजा रो पड़ता है भैया।
सख्त आवरण तले तुझमें,
छुपा निर्मल प्रेम महसूस किया।
लिए जज्बा सुरक्षा का मेरे,
रक्षाकवच बने तुम्ही भैया।
इस रिश्ते की गहराई को,
कोई समझ नहीं सकता है।
जुड़े लाल रंग के धागे से (खून)
कोई तोड़ नहीं सकता भैया।
राखी तो महज एक रश्म है,
त्योंहार समझ मना लेते हैं।
इस रिश्ते का कोई मोल नहीं,
अनमोल खजाना है भैया।
लेन देन की विभत्स परिस्थिति,
सामाजिक कुरीति अब बन गयी है।
पवित्र निःस्वार्थ प्रेम को बलि,
नहीं कभी चढ़ने देना भैया।
लंबी और खुशहाल जिंदगी की,
दुआ हर बहना करती है।
तुम्हारे साथ जिंदगी शुरू हुई थी,
अंत तक साथ निभाना भैया।।
सुचिसंदीप, तिनसुकिया