ग़ज़ल
बस यही तुम सोच लेना हम धुआँ है,
हो जहाँ भी संग अपने आसमाँ है!
देखना तुम हम अकेले है नहीं अब,
राह सच की है तभी तो कारवाँ है!
दिल ज़मीं पर हो खुदा तुम जो हमेशा,
फिक्र ये किस बात की फिर हम कहाँ है!
बिन बुलाए हम कहीं जो चल पड़े थे,
ये नहीं जाना कि वो किसका मकाँ है!
जब फसाना मिल गया चुप हो गए हैं,
ये नहीं मतलब कि हम “यश” बेजुबाँ है!
— कवि योगेन्द्र जीनगर “यश”, राजसमंद, राजस्थान
बहुत खूब !