प्यार के फूल खिलाते जाएँ
प्यार के फूल खिलाते जाएँ
इस बगिया को सजाते जाएँ
कोई आँख अब ना रोए
ऐसे सबको हंसाते जाएँ
दिल में किसी के गम ना रहे
यूँ दिल को बहलाते जाएँ
जहाँ में रहे ना कोई पराया
सबको अपना बनाते जाएँ
अब तक नींद मे हैं जो सोए
संग उनको भी जगाते जाएँ
रोते आये थे जहां में सब
यहाँ से मुस्कुराते जाएँ
चैन जब दिल को ना आए
‘अर्जुन’, के गीत गाते जाएँ
प्रिय अर्जुनजी ! अति सुंदर और सार्थक रचना के लिए आपका आभार । यह समय की मांग ही है की प्यार के फुल खिलाते जाएँ तभी तो यह मुमकिन हो पायेगा रोते आनेवाला हंसते हुए जाये ।
धन्यवाद श्रीमान जी , आप गुनीजनो के संपर्क व् आशीर्वाद से ही कुछ सीख पाता हूँ
प्रिय अर्जुन भाई जी, सचमुच आपके अति सुंदर-सकारात्मक गीत को पढ़कर दिल को चैन आ गया. एक सटीक व सार्थक रचना के लिए आभार.
धन्यवाद बहन जी, आपकी प्रतिक्रियाएं सदैव लिखने के लिए प्रेरित करती हैं 1 आपका आशीर्वाद हमेशा मिलता रहे