मेरे दर्दे दिल की कहानी न पूछो
122 122 122 122
मेरे दर्दे गम की कहानी न पूछो ।
मुहब्बत की कोई निशानी न पूछो ।।
बहुत आरजूएं दफन मकबरे में ।
कयामत से गुजरी जवानी न पूछो ।।
मुझे याद है वो तरन्नुम तुम्हारा ।
ग़ज़ल महफ़िलों की पुरानी न पूछो ।।
हुई रफ्ता रफ्ता जवां सब अदाएं ।
सितम ढा गयी कब सयानी न पूछो ।।
बयां हो गई इश्क की हर हकीकत ।
समन्दर की लहरों का पानी न पूछो ।।
सलामी नजर से नज़र कर गयी थी ।
वो चिलमन से नज़रें झुकानी न पूछो ।।
मुलाक़ात ऐसी न कुछ कह सके हम ।
रही बात क्या क्या बतानी न पूछो ।।
— नवीन मणि त्रिपाठी
प्रिय नवीन भाई जी, एक नायाब और सार्थक रचना के लिए आभार.
प्रिय नवीन भाई जी, एक नायाब और सार्थक रचना के लिए आभार.
सुन्दर ग़ज़ल !
सुन्दर ग़ज़ल !