बाल कविता : गिलहरी
एक गिलहरी
पेड़ पे बैठी
टुकुर टुकुर कुछ देखे
पूँछ उठाकर गिल्लो रानी
धीरे धीरे उतरे
इधर देखे,उधर देखे
उतरे और रूक जाए
फिर कुछ उतरे,देखे
और थम जाए
उखड़ी सांस और
लगे थकी सी
संभल संभल कर
कदम उठाए
खिड़की मे बैठी मुन्नी
देखे और ये सोचे
अम्मा की तरह
इस गिल्लो के
दुखते होगें घुटने…!!
— रितु शर्मा