दोहा मुक्तक
प्रदत शीर्षक- अलंकार, आभूषण, भूषण, विभूषण, गहना, जेवर
गहना भूषण विभूषण, रस रूप अलंकार
बोली भाषा हो मृदुल, गहना हो व्यवहार
जेवर बाहर झाँकता, चतुर चाहना भेष
आभूषण अंदर धरे, घूर रहा आकार॥
— महातम मिश्रा, गौतम गोरखपुरी
प्रदत शीर्षक- अलंकार, आभूषण, भूषण, विभूषण, गहना, जेवर
गहना भूषण विभूषण, रस रूप अलंकार
बोली भाषा हो मृदुल, गहना हो व्यवहार
जेवर बाहर झाँकता, चतुर चाहना भेष
आभूषण अंदर धरे, घूर रहा आकार॥
— महातम मिश्रा, गौतम गोरखपुरी